ऑप्टिकल एन्कोडर
ऑप्टिकल एन्कोडर ऑप्टिकल ग्रेटिंग और फोटोइलेक्ट्रिक डिटेक्शन पर आधारित होते हैं, जो घूर्णन (Rotary) या रैखिक (Linear) विस्थापन को विद्युत संकेत में रूपांतरित करते हैं। ये CNC मशीन टूल्स, सेमीकंडक्टर प्लेटफ़ॉर्म, प्रिसिशन मेट्रोलॉजी, रोबोटिक्स और हाई-एंड ऑटोमेशन में प्रमुख पोज़िशन-फ़ीडबैक डिवाइस हैं। उच्च रेज़ोल्यूशन, निम्न सब-डिविज़न एरर और उत्कृष्ट रिपीटेबिलिटी के कारण, ऑप्टिकल एन्कोडर नैनो से माइक्रोमीटर-स्तरीय पोज़िशनिंग में व्यापक रूप से प्रयुक्त होते हैं।
ऑप्टिकल एन्कोडर क्या है (What is an Optical Encoder)
ऑप्टिकल एन्कोडर वह सेंसर है जो लाइट सोर्स — ऑप्टिकल ग्रेटिंग — फोटोइलेक्ट्रिक डिटेक्शन शृंखला के माध्यम से पोज़िशन सूचना प्राप्त करता है। इसका कोर एक आवधिक संरचना वाली कोड-डिस्क/ग्रेटिंग-स्केल (Scale/Disk) और रीडहेड (Readhead) से बना होता है: रीडहेड निर्धारित ऑप्टिकल गैप में ग्रेटिंग के ट्रांसमिटेड/रिफ्लेक्टेड पैटर्न या इंटरफेरेंस सिग्नल को पढ़ता है, जिन्हें एनालॉग फ़्रंट-एंड व इंटरपोलेशन/डिकोडिंग सर्किट प्रोसेस करते हैं और इन्क्रिमेंटल A/B (वैकल्पिक Z रेफ़रेंस सहित), साइन/कोसाइन 1 Vpp, या एबसोल्यूट पोज़िशन का सीरियल डेटा (SSI/BiSS/EnDat आदि) आउटपुट करते हैं।
मोशन प्रकार के अनुसार रोटरी ऑप्टिकल एन्कोडर (डिस्क) और लीनियर ऑप्टिकल एन्कोडर (स्केल) होते हैं। स्क्रू/रैक के माध्यम से परोक्ष गणना की तुलना में लीनियर ऑप्टिकल एन्कोडर डायरेक्ट मेजरमेंट देते हैं, जिससे बैकलैश, लीड/पिच त्रुटियाँ और ऊष्मीय प्रसार जनित पोज़िशन एरर में उल्लेखनीय कमी आती है; रोटरी ऑप्टिकल एन्कोडर मोटर व रोटरी टेबल के लिए उच्च-रेज़ोल्यूशन कोण तथा गति फ़ीडबैक प्रदान करते हैं।
कार्य सिद्धांत (Working Principle)
1) इमेजिंग/मोइरे (Imaging/Moiré)
- संरचना: लाइट सोर्स (LED/VCSEL) → कोलिमेटिंग/इमेजिंग ऑप्टिक्स → मास्क/फ़ेज़-ग्रेटिंग → फ़ोटोसेंसिटिव एरे।
- तंत्र: स्केल और रीडहेड के रेफ़रेंस-ग्रेटिंग की आपेक्षिक गति से मोइरे स्ट्राइप्स बनती हैं, जो लगभग साइन/कोसाइन सिग्नल उत्पन्न करती हैं; इंटरपोलेशन और एम्प्लीट्यूड/फेज़ बैलेंसिंग से उच्च-रेज़ोल्यूशन विस्थापन प्राप्त होता है।
2) इंटरफेरेंशियल/फ़ेज़-ग्रेटिंग (Interferential/Phase Grating)
- तंत्र: विवर्तन (Diffraction) ऑर्डर्स के बीच फ़ेज़ अंतर विस्थापन के साथ रैखिक रूप से बदलता है; उनके सुपरपोज़िशन से उच्च-शुद्धता साइनसॉइडल सिग्नल बनते हैं। इससे SDE (Sub-Division Error) कम और रेज़ोल्यूशन क्षमता अधिक मिलती है।
3) ट्रांसमिशन बनाम रिफ्लेक्शन
- ट्रांसमिशन-प्रकार: काँच/सिरेमिक सब्सट्रेट; उच्च SNR और अच्छी लीनियरिटी — क्लीन-रूम व हाई-प्रिसिशन अनुप्रयोगों के लिए उपयुक्त।
- रिफ्लेक्शन-प्रकार: मेटलाइज़्ड/कोटेड रिफ्लेक्टिव ग्रेटिंग; कॉम्पैक्ट और इंस्टॉलेशन-फ्रेंडली, पर प्रदूषण के प्रति अधिक संवेदनशील — अच्छे सीलिंग, एयर-पर्ज/स्क्रेपर की आवश्यकता।
4) इन्क्रिमेंटल व एबसोल्यूट आउटपुट लॉजिक
- इन्क्रिमेंटल: A/B क्वाड्रेचर पल्स (90° फेज़ अंतर); दिशा फेज़-लीड से निर्धारित; Z रेफ़रेंस प्रति स्ट्रोक/प्रति रेवोल्यूशन एक बार।
- एबसोल्यूट: किसी भी स्थिति पर यूनिक कोड (Binary/Gray); निदान, तापमान और स्टेटस रजिस्टर सम्मिलित हो सकते हैं।
निकटानुमानित लीनियर रेज़ोल्यूशन: Δx ≈ p / (N × M)
जहाँ p
= ग्रेटिंग-पिच, N
= एनालॉग इंटरपोलेशन गुणक (जैसे 100×), M
= डिजिटल एज़-मल्टीप्लाई फ़ैक्टर (आम तौर पर 4×)।
रोटरी एन्कोडर का समतुल्य कोणीय रेज़ोल्यूशन: θ_res = 360° / (लाइन काउंट × 4)
वर्गीकरण (Taxonomy)
- मोशन के अनुसार: लीनियर ऑप्टिकल एन्कोडर / रोटरी ऑप्टिकल एन्कोडर (डिस्क)
- आउटपुट के अनुसार: इन्क्रिमेंटल (TTL/HTL/RS422, 1 Vpp/11 µApp) / एबसोल्यूट (SSI, BiSS-C, EnDat 2.2, पैरेलल)
- ऑप्टिकल इम्प्लीमेंटेशन: ट्रांसमिशन / रिफ्लेक्शन, इमेजिंग / इंटरफेरेंशियल, एम्प्लिट्यूड-ग्रेटिंग / फ़ेज़-ग्रेटिंग
- एनक्लोज़र: ओपन-टाइप (हाई-डायनैमिक्स, लो-फ्रिक्शन) / सील्ड (IP65–IP67, ऑयल-मिस्ट/कूलेंट रोधी)
- रेंज/सब्सट्रेट: काँच/सिरेमिक (लो CTE), स्टील-टेप (लंबा स्ट्रोक), कोटेड रिफ्लेक्टिव ग्रेटिंग आदि
प्रमुख घटक व सिग्नल-चेन (Signal Chain)
- लाइट सोर्स व ऑप्टिक्स: LED/लेज़र, कोलिमेशन/फोकसिंग — इल्युमिनेशन यूनिफ़ॉर्मिटी और थर्मल ड्रिफ्ट तय करते हैं; एजिंग एवं क्लोज़्ड-लूप पावर कंट्रोल उपयोगी।
- ग्रेटिंग/डिस्क: पिच
p
, ड्यूटी-साइकिल व फ़ेज़-एक्यूरसी सिग्नल-प्यूरिटी और SDE को नियंत्रित करते हैं। - फ़ोटोसेंसर/AFE: मल्टी-चैनल सैंपलिंग, ऑटो-गेन/ऑफ़सेट/फ़ेज़ बैलेंस (ABC बैलेंसिंग)।
- इंटरपोलेशन/एन्कोडिंग ASIC: एम्प्लिट्यूड/फ़ेज़ करेक्शन, एलिप्टिसिटी (दीर्घवृत्तीयता) कम्पेन्सेशन, डिजिटल फ़िल्टरिंग व जिटर-दम्पिंग, प्रोटोकॉल एन्कोडिंग और लाइन-ड्राइवर।
- फ़िज़िकल लेयर: RS422 डिफ़रेंशियल, 1 Vpp/11 µApp, टर्मिनेशन इम्पीडेंस व केबलिंग (शील्डिंग/ग्राउंडिंग) रणनीतियाँ।
आउटपुट व इंटरफेस (Outputs & Interfaces)
आउटपुट मानक | सामान्य सिग्नल | विवरण |
---|---|---|
इन्क्रिमेंटल स्क्वेयर | A/B (+Z), TTL/HTL/RS422 | PLC हाई-स्पीड काउंटर, वेलोसिटी/पोज़िशन लूप; लंबी दूरी पर डिफ़रेंशियल वांछनीय |
साइन/कोसाइन | 1 Vpp, 11 µApp | अल्ट्रा-हाई-रेज़ोल्यूशन इंटरपोलेशन; SDE व जिटर चेन-क्वालिटी पर निर्भर |
एबसोल्यूट सीरियल | SSI, BiSS-C, EnDat 2.2 | सिंगल/मल्टी-टर्न एबसोल्यूट वैल्यू, डायग्नोस्टिक्स/टेम्प/अलार्म रजिस्टर |
फ़ील्डबस | EtherCAT, PROFINET, CANopen | मल्टी-ऐक्सिस सिंक, डिस्ट्रिब्यूटेड क्लॉक्स, ऑनलाइन कॉन्फ़िगरेशन |
सैद्धांतिक बैंडविड्थ (लीनियर): f_max ≈ (v / p) × edges
जहाँ v
= लाइन-स्पीड, edges
= प्रति-पीरियड प्रभावी एज़ (जैसे 4× क्वाड्रेचर)।
प्रमुख प्रदर्शन सूचकांक (Key Specifications)
सूचकांक | सामान्य सीमा/टिप्पणी |
---|---|
रेज़ोल्यूशन | लीनियर: 1 µm → 1 nm; रोटरी: ≤ 24-बिट समतुल्य |
लीनियर एक्यूरसी | हाई-एंड ऑप्टिक्स: ±1–±3 µm/m; स्टैंडर्ड: ±3–±10 µm/m |
रिपीटेबिलिटी | ≤ ±0.1–±0.3 µm (लीनियर); रोटरी में उप-आर्कसेकंड स्तर संभव |
SDE (सब-डिविज़न एरर) | अच्छी 1 Vpp चेन में ±20–±80 nm |
जिटर | दर्ज़नों नैनोमीटर; AFE एवं क्लॉक-फेज़-नॉइज़ पर निर्भर |
फेज़/ड्यूटी एरर | A/B फेज़ 90° ±(1–5)°; ड्यूटी 50% ±(2–10)% |
स्पीड क्षमता | लीनियर > 1 m/s, रोटरी 12 000+ RPM (इंटरफ़ेस पर निर्भर) |
पर्यावरण ग्रेड | IP40 (ओपन) से IP67 (सील्ड), IEC 60068-2 वाइब्रेशन/शॉक |
इंस्टॉलेशन व त्रुटि-स्रोत (Installation & Error Sources)
- एयर-गैप और अलाइनमेंट (pitch/roll/yaw) विचलन → एम्प्लिट्यूड असंतुलन व SDE वृद्धि
- Abbe त्रुटि: ऑफ़सेट-आर्म × कोण त्रुटि; माप-रेखा को यथासंभव मोशन-सेंटर से गुज़ारें या सॉफ़्टवेयर कम्पेन्सेट करें
- कोसाइन-एरर (छोटे कोण का निकटानुमान):
e ≈ (L × θ²) / 2
- डिस्क एक्सेंट्रिसिटी/शाफ्ट रनआउट (रोटरी): मौलिक/द्वितीय हार्मोनिक कोण-त्रुटि उत्पन्न
- थर्मल एक्सपैंशन (CTE): काँच/सिरेमिक का CTE कम; स्टील-टेप में थर्मल कम्पेन्सेशन व फ्लोटिंग-माउंटिंग आवश्यक
- EMC/ग्राउंडिंग: सिंगल-पॉइंट ग्राउंड, उचित शील्डिंग व रिटर्न-पाथ; कॉमन-मोड/लूप करंट से बचें
कैलिब्रेशन व कम्पेन्सेशन (Calibration & Compensation)
- लीनियर मैपिंग: त्रुटि-कर्व को लेज़र-इंटरफेरोमीटर/बॉल-बार से मापकर कंट्रोलर LUT में लोड करें
- थर्मल-ड्रिफ्ट कम्पेन्सेशन: स्केल/मशीन तापमान व CTE मॉडल से रियल-टाइम करेक्शन
- एम्प्लिट्यूड/फ़ेज़/एलिप्टिसिटी करेक्शन: इंटरपोलेशन से पूर्व अनुकूली बैलेंसिंग
- रेफ़रेंसिंग रणनीति: डिस्टेंस-कोडेड रेफ़रेंस मार्क्स होमिंग दूरी घटाते हैं व पुनरावृत्ति सुधारते हैं
अन्य तकनीकों से तुलना (Comparisons)
तकनीक | रेज़ोल्यूशन/एक्यूरसी | प्रदूषण/पर्यावरण सहनशीलता | सामान्य रेंज | प्रमुख कमी |
---|---|---|---|---|
ऑप्टिकल एन्कोडर | ★★★★★ | ★★★ | मध्यम/लंबा | प्रदूषण/कंडेंस के प्रति संवेदनशील, इंस्टॉलेशन-टॉलरेंस कड़े |
मैग्नेटिक एन्कोडर | ★★☆ | ★★★★ | लंबा | लीनियरिटी व SDE कमजोर |
इंडक्टिव/कैपेसिटिव | ★★★ | ★★★★ | मध्यम | धातु-निकटता/एडी-करंट या नमी के प्रति संवेदनशील |
रिज़ॉल्वर/पोटेंशियोमीटर | ★★ | ★★★★★/★ | मध्यम/छोटा | निम्न रेज़ोल्यूशन या कम सहज इंटरफ़ेस |
अनुप्रयोग (Applications)
CNC (लीनियर व रोटरी ऐक्सिस), CMM और मेट्रोलॉजी प्लेटफ़ॉर्म, सेमीकंडक्टर एलाइनमेंट/एक्सपोज़र/इंस्पेक्शन, प्रिसिशन मोशन-स्टेज, रोबोट जॉइंट्स व गियरबॉक्स बैकलैश मॉनिटरिंग, मेडिकल इमेजिंग/रेडियोथेरपी उपकरण, प्रिंटिंग-पैकेजिंग सिंक-कंट्रोल, इलेक्ट्रॉनिक SMT प्लेसमेंट/इंस्पेक्शन व हाई-स्पीड मैटेरियल-हैंडलिंग।
मेंटेनेंस व ट्रबलशूटिंग (Maintenance & Troubleshooting)
- रूटीन: नियमित सफाई (लिन्ट-फ्री कपड़ा + उपयुक्त सॉल्वेंट), केबल बेंड-रेडियस/शील्डिंग जाँच, ताप-आर्द्रता व कंडेंस मॉनिटरिंग
- सामान्य लक्षण व उपाय:
- पल्स/एज ड्रॉप: एयर-गैप सीमा से बाहर, प्रदूषण-ब्लॉकिंग → अलाइनमेंट ठीक करें/साफ़ करें/सीलिंग व एयर-पर्ज जोड़ें
- SDE/जिटर बढ़ना: AFE/इंटरपोलेशन-चेन नॉइज़, खराब ग्राउंडिंग → पावर/वायरिंग/टर्मिनेशन ऑप्टिमाइज़ करें
- एबसोल्यूट कम्युनिकेशन फ़ेल: SSI/BiSS/EnDat पैरामीटर या पोलैरिटी मिसमैच → फ़्रेम-लंबाई, CRC, टाइमिंग व इम्पीडेंस जाँचें
- एंगुलर हार्मोनिक एरर (रोटरी): एक्सेंट्रिसिटी/रनआउट → समकेन्द्रीयता व बियरिंग-स्टिफ़नेस बढ़ाएँ, हार्मोनिक कम्पेन्सेशन करें
चयन-दिशानिर्देश (Selection Guide)
- लक्षित एक्यूरसी/रिपीटेबिलिटी (µm/m या आर्क-सेकंड) और डायनैमिक स्पीड
- इम्प्लीमेंटेशन प्रिंसिपल (ट्रांसमिशन/रिफ्लेक्शन, इमेजिंग/इंटरफेरेंस) व ग्रेटिंग-पिच
p
- आउटपुट इंटरफ़ेस (A/B/Z, 1 Vpp, SSI/BiSS/EnDat, फ़ील्डबस) व कंट्रोलर बैंडविड्थ
- एनक्लोज़र व एन्वायरनमेंट (ओपन/सील्ड, IP-रेटिंग, कूलेंट/डस्ट)
- मैकेनिकल व थर्मल डिज़ाइन (एयर-गैप/अलाइनमेंट टॉलरेंस, CTE, फ्लोटिंग-माउंटिंग)
- कम्पेन्सेशन व डायग्नोस्टिक्स (एरर-मैप, टेम्प/स्टेटस रजिस्टर, ऑनलाइन अलार्म)
- लाइफ़-साइकल (केबल/रीडहेड सर्विसएबिलिटी, स्पेयर-पार्ट उपलब्धता, कैलिब्रेशन क्षमता)
मानक व संदर्भ (Standards & References)
- IEC 60529:2020 (IP संरक्षण-स्तर)
- IEC 60068-2 (वाइब्रेशन/शॉक/ताप-आर्द्रता)
- IEC 61000-6-2 / -6-4 (औद्योगिक EMC इम्युनिटी/एमिशन)
- ISO 230-2 / ISO 230-3 (मशीन-टूल पोज़िशनिंग व थर्मल परीक्षण)
- ISO 10360 (CMM सत्यापन)
- ISO 14644 (क्लीन-रूम आवश्यकताएँ)
सार: ऑप्टिकल एन्कोडरों के सिद्धांत, विनिर्देश, इंटरफ़ेस और इंस्टॉलेशन/कम्पेन्सेशन पहलुओं की व्यापक समझ जटिल कार्य-परिस्थितियों में भी उच्च-सटीकता, उच्च-रोबस्टनेस और उत्कृष्ट डायग्नॉस्टिक-क्षमता के साथ दीर्घकालिक स्थिर संचालन सुनिश्चित करती है।